मुझे भूलना है तो भूल जाओ, मुझे याद करना है तो याद करो,
पर खुदा के लिये मेरी फरियाद ना सरेआम करो ।
जाके मेरे हालपर, तुम अपना ना बेहाल करो,
कभी मुझको तो कभी अपने आपको ना कोसा करो ।
हूँ जो मैं वो तो हूँ, अगर करना है स्वीकार तो मेरा स्वीकार करो,
पर बार बार करके अपमान मेरा ना मुझे हैरान करो ।
फर्क नहीं पड़ेगा मुझे ज्यादा अपमान से, पर खुदका जी ना जलाया करो,
खुद अपने ही जज़बातों से ना यूँ खेला करो,
करो रहम कुछ खुद पर कि ना मेरी फरियाद सरेआम करो ।
या बसाओ मुझे अपने दिलमें या अपने दिलसे आज़ाद करो पर ...
- संत श्री अल्पा माँ