तेरी मुहब्बत ही मेरी इबादत है।
न कोई बंदगी मुझे आती है।
तेरे दीदार ही में समाया मेरा जहाँ।
न मेरे लिये और कोई जहाँ बाकी है।
- संत श्री अल्पा माँ
तेरी मुहब्बत ही मेरी इबादत है।
न कोई बंदगी मुझे आती है।
तेरे दीदार ही में समाया मेरा जहाँ।
न मेरे लिये और कोई जहाँ बाकी है।
- संत श्री अल्पा माँ