Hymn No. 2291
| Date: 27-Sep-1997
छूपकर दिल की गहराइयों में, तू हमें पैगाम नए-नए दे रहा है।
छूपकर दिल की गहराइयों में, तू हमें पैगाम नए-नए दे रहा है।
कभी शरारत करके, तो कभी कुछ नए अंदाज से, तू मुझे छेड़े जा रहा है।
बसा है तू मेरे दिल में, के इस बात का सबूत मुझे दे रहा है।
भाता है तेरा अंदाज मुझे, के मेरा दिल बेचैनी में भी चैन पा रहा है।
कभी ख्यालों में तू सजता है, तो कभी भावनाओं में तू मुस्कुराता रहा है।
तेरी शरारत भरा हर एक अंदाज, मुझे तो बहुत ही पसंद आ रहा है।
कहना जो चाहे तू मुझसे, वह चुपचाप तू कह रहा है।
मुस्कुराहट में ही अपनी, तू सारे छुपे भेद खोल रहा है।
बदलते तेरे अंदाजो का दीदार करने में मज़ा मुझे आ रहा है।
नहीं है जुदा तू मुझसे, मुझमें ही तू है समाया, इस बात का एहसास दे रहा है।
- संत श्री अल्पा माँ