अकलमंदी में अपनी कभी हम इतने आगे निकल जाते हैं, कि कहते हैं खुदा जिसको, कहा उसका भी ना मानते हैं |
अगर आता हो जीना तो ज़िंदगी का मज़ा कुछ और है, हर मोड़ से देखो ना बदलते उसके तौर हैं, हर हाल में लगता खुशहाल है |
अगर कहता कोई और, ना हरगिज़ बर्दाश्त करते हम, खुदा तेरी रुसवाई भी सह लेते हम, पर की है गुस्ताखी दिल ने तो क्या सज़ा दें हम? फ़रियाद की है उसने खुदा तेरी तो, क्या कहें हम?
अगर चलता बस मेरा तो, दिल को मेरे निकाल कर तेरे कदमों में रख देता; फिर ना अपने आपकी तुझसे, फरियाद कभी करता |
अगर लिखा हैं मेरी किस्मत में तड़पना तो, तेरे प्यार में तड़पना मंजूर है मुझे, ना और कोई तड़प मंजूर है मुझे |
अगर हो काम तो खुदा सामने वाले को हम बना देते हैं | खत्म होने पर काम अपना, इन्सानों में भी गिनती करना हम छोड़ देते हैं |
अच्छाइयों का ज़िक्र करते हम कभी नहीं थकते हैं | उनमें छुपी बुराइयों पर वार करके कभी नहीं थकते हैं |
अनजान दिलों को कोई मिलाये तो वो प्यार है | रूठे हुए दिलों को कोई अगर मिलाये तो वो पछतावा है |
अनजाने में किसीने एक हसीन गलती तो कर दी, करना चाहा बुरा मगर भला तो कर दिया | डुब रहे थे हम मझधार में, एक नाव भेजकर हमको सहारा दे दिया ।
अपने आपको अक़्लमंद साबित करने में, कोई कसर हम ना छोड़ते हैं | छोड़ते हैं सब कुछ, अक़्लमंदी अपनी ना छोड़ते हैं, अरे इसी बात पर तो हम धोखा खा जाते हैं |
अपने आपको बचाने की कोशिश में, कभी कोई कमी हम ना रखते हैं | अनजाने में नादानी ऐसी करते हैं, कि अपने आपको जीते जी मार देते हैं |
अपने इशारों पर नचाना दूसरों को सबको अच्छा लगता है | नहीं लगता किसी को भी अच्छा, दूसरों के इशारे पर नाचना नहीं लगता अच्छा हमें फिर भी हम करते रहते हैं |
अपने फर्ज से अगर आँखे चुरायेंगे तो, आँसू के सिवा कुछ ना पायेंगे | मिलायेंगे नजरें अपने कर्तव्य से तो, मुस्कुराहट ही हम पायेंगे |
अपना दिल अपने हाथों से दु:खाते हैं हम, फिर उसकी दवा तेरे पास माँगते हैं हम |
अपनी कोशिशों की कमजोरी बयान हम करना नहीं चाहते हैं, इसलिए जुदाई को बहुत जल्दी स्वीकार लेते हैं | कभी मिल के हम इस तरह रहते हैं कि जुदाई की तरह जी लेते हैं |
अपनी ख़ुशी में खुश रहना आता नहीं, दूसरों की ख़ुशी बर्दाश्त हमसे होती नहीं, बस इसी वजह से ही बर्बादी हमारी रूकती नहीं |
अपनी तमन्नाओं की डोर थाम के मैं आगे बढ़ता गया, कि वक्त की बरबादी में बेफिक्र होके करता गया । ना चाहा रोकना अपने आपको, ना रुकने के लिये कोई तैयारी की मैंने, मोहित होकर दृश्य के पीछे भागता गया मैं तो ।
अपनी बिगड़ी तकदीर को बना सकता है तू, बहती हुई धारा में अपनी कश्ती बचा सकता है तू; हो चाहे तूफ़ान ही तूफान चारों ओर पर, कश्ती किनारे पर ला सकता है तू |
अब ना किसी हथियार की मुझको जरूरत है, खुदा तेरा नाम से ही होती मेरी हिफाज़त है |
अभिमान के भँवर में न फसना दोस्तों, अपने आप से किसीको कम न समझना दोस्तों; गिरते हुए को सँभालने वाला मिलता है दोस्तों, अभिमान करने पर सबकुछ जल जाता है दोस्तों |