View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 3401 | Date: 16-May-19991999-05-161999-05-16जगमें जीवन इस तरह जी ले, बार बार धोखा खाना ना पड़ेSant Sri Apla Mahttps://www.mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=jagamem-jivana-isa-taraha-ji-le-bara-bara-dhokha-khana-na-padaeजगमें जीवन इस तरह जी ले, बार बार धोखा खाना ना पड़े,
गफलत को छोड़ दे जीवनमें, जी तू जीवन इस तरह कि बार बार धोखा ...
धोखा खाकर बहुत रोये या बहुत पछताये, इससे बदलाव कुछ और ना आये ...
संभल-संभल कर रख कदम अपना, कि कहीं निशाना चूक ना जाये,
जीवन पाया तूने, तो पड़ेगा जीना, पर किस तरह से है जीना ये सोच ले ।
सोच सोच के सिर्फ सोचमें नहीं है खोना, अंजाम को तू ढूँढ़ ले,
कहाँ रूकना, कहाँ चलना कि ये बात जीवनमें तू सीख ले ।
खा खा के धोखा बहुत पछताया कि अबके ना पछताना पड़े,
चाहे कहे कोई तुझसे कुछ या ना कहे, तू अपना अंजाम चुन ले,
कि धोखा खाकर ना रोना पड़े कि अबके धोखा खाना ना पड़े ।
जगमें जीवन इस तरह जी ले, बार बार धोखा खाना ना पड़े