View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 2328 | Date: 25-Oct-19971997-10-251997-10-25कभी तंग हो जाते है, कभी हमारे रंग उड़ जाते है।Sant Sri Apla Mahttps://www.mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=kabhi-tanga-ho-jate-hai-kabhi-hamare-ranga-uda-jate-haiकभी तंग हो जाते है, कभी हमारे रंग उड़ जाते है।
गुजरते-गुजरते ऐसा मौसम भी गुजरता है, कि हम बेरंग हो जाते है।
छोड़कर मस्ती भरे नगमें, गमगीन गीतों को अपना बैठते है।
पल में बसंत, पल में पतझड़, जज्बातों में आपसी टकराव होते रहते है।
कभी चाहे किसी का संग, तो कभी अकेले ही रहते है।
दिलो-दिमाग के मुताबिक अपनी चाल हम चलते है।
कभी पीकर भी चले, तो कभी बिना पीए भी लड़खड़ा जाते है।
दर्द का इजहार करे ना करे, पर उसे छुपा नही सकते है।
हम कुछ बोले ना बोले, चेहरा हमारा सारे भेद खोल देता है।
खिलखिलाता हुआ चेहरा हमारा बेनूर, बेरंग हो जाता है।
कभी तंग हो जाते है, कभी हमारे रंग उड़ जाते है।