“ अगर कहता कोई और, ना हरगिज़ बर्दाश्त करते हम, खुदा तेरी रुसवाई भी सह लेते हम, पर की है गुस्ताखी दिल ने तो क्या सज़ा दें हम? फ़रियाद की है उसने खुदा तेरी तो, क्या कहें हम? ” - संत श्री अल्पा माँ Share