“ अपनी बिगड़ी तकदीर को बना सकता है तू, बहती हुई धारा में अपनी कश्ती बचा सकता है तू; हो चाहे तूफ़ान ही तूफान चारों ओर पर, कश्ती किनारे पर ला सकता है तू | ” - संत श्री अल्पा माँ Share