बनी बाज़ी बिगड़ जाती है ।
किया काज व्यर्थ हो जाता है |
अपने व्यवहार की वजह से ज़िंदगी में,
सब कुछ हम खो देते हैं |
- संत श्री अल्पा माँ
बनी बाज़ी बिगड़ जाती है ।
किया काज व्यर्थ हो जाता है |
अपने व्यवहार की वजह से ज़िंदगी में,
सब कुछ हम खो देते हैं |
- संत श्री अल्पा माँ