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बनी बाज़ी बिगड़ जाती है ।
किया काज व्यर्थ हो जाता है |
अपने व्यवहार की वजह से ज़िंदगी में,
सब कुछ हम खो देते हैं |

- संत श्री अल्पा माँ
बनी बाज़ी बिगड़ जाती है ।
किया काज व्यर्थ हो जाता है |
अपने व्यवहार की वजह से ज़िंदगी में,
सब कुछ हम खो देते हैं |



- संत श्री अल्पा माँ

 
बनी बाज़ी बिगड़ जाती है ।
किया काज व्यर्थ हो जाता है |
अपने व्यवहार की वजह से ज़िंदगी में,
सब कुछ हम खो देते हैं |
बनी बाज़ी बिगड़ जाती है । /quotes/detail.aspx?title=bani-vali-biga-jati-hai