Share बिना जख्म के दर्द का अहसास नहीं, बिना प्रित प्रेम का अहसास नहीं, कुरबानी कुरबानी, खुदा तुझे देनी पड़ती है कुरबानी, जिसको कह दी हमने तेरी महरबानी । - संत श्री अल्पा माँ Previous बिखरा हूँ मैं कुछ इस तरह कि सँवरना मुश्किल है। Next बिना मांगे सब कुछ दिया है तूने फिर भी मैं मांगता रहता हूँ