एक खंजर जरा अपने सीने से पार कर लूँ,
कि अपने ही हाथों, अपने आपको मात दे दूँ।
फिर थामने को हो तैयार, तू जो मेरा हाथ,
तो तेरी ओर ऐ! मेरे साकी अपना हाथ बढा दूँ।
- संत श्री अल्पा माँ
एक खंजर जरा अपने सीने से पार कर लूँ,
कि अपने ही हाथों, अपने आपको मात दे दूँ।
फिर थामने को हो तैयार, तू जो मेरा हाथ,
तो तेरी ओर ऐ! मेरे साकी अपना हाथ बढा दूँ।
- संत श्री अल्पा माँ