Share सैकड़ों तूफानों के बीच खड़ा हुआ हूँ मैं । ना होते हुए भी अकेला हूँ मैं । की अपनी किस्मत को आंसुओं से नहला रहा हूँ मैं | - संत श्री अल्पा माँ Previous वो महफिल ही क्या जिसमें दीदारे यार न हो Next सुख भरी तमन्नाओं ने आखिर में दुःख हमको दिया है