Share समझना चाहा ज़िंदगी को, मगर जान नहीं पाए । हाले दिल अपना किसी को बता नहीं पाए |- संत श्री अल्पा माँ समझना चाहा ज़िंदगी को, मगर जान नहीं पाए । हाले दिल अपना किसी को बता नहीं पाए | - संत श्री अल्पा माँ Previous समझदारी जीवन में जीवन की सुंदरता बढ़ाने के लिये होती है Next समझा देते हैं औरों को आसानी से