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समझना चाहा ज़िंदगी को, मगर जान नहीं पाए ।
हाले दिल अपना किसी को बता नहीं पाए |

- संत श्री अल्पा माँ
समझना चाहा ज़िंदगी को, मगर जान नहीं पाए ।
हाले दिल अपना किसी को बता नहीं पाए |



- संत श्री अल्पा माँ

 
समझना चाहा ज़िंदगी को, मगर जान नहीं पाए ।
हाले दिल अपना किसी को बता नहीं पाए |
समझना चाहा ज़िंदगी को, मगर जान नहीं पाए । /quotes/detail.aspx?title=samajana-chaha-indagi-ko-magara-jana-nahim-pae