Share साँसों की थिरकन से जो हील जाते है, जीवन में ना कभी वो किनारे से मिल पाते हैं ।- संत श्री अल्पा माँ साँसों की थिरकन से जो हील जाते है, जीवन में ना कभी वो किनारे से मिल पाते हैं । - संत श्री अल्पा माँ Previous साँसों की चलती रवानी में ज़िंदगी रूख़ अपना बदलती है । Next सो सो के तो हमने उम्र बिताई, अब और ना हमें सोना है