Share उड़ती हुई राख को ना करना कोशिश कभी उड़ाने की, करोगे कोशिश तो ढूंढनी पड़ेगी जगह मुँह छिपाने की ।- संत श्री अल्पा माँ उड़ती हुई राख को ना करना कोशिश कभी उड़ाने की, करोगे कोशिश तो ढूंढनी पड़ेगी जगह मुँह छिपाने की । - संत श्री अल्पा माँ Previous उठती है जो याद दिल से Next एक कदम पर हँसते हैं तो दूजे कदम पर रोते हैं