Share यह ज़िंदगी तुझको जानकर भी जान नहीं सकते हैं | हूँ खुद मैं तेरी पहचान, फिर भी तेरी पहचान नहीं पाते हैं |- संत श्री अल्पा माँ यह ज़िंदगी तुझको जानकर भी जान नहीं सकते हैं | हूँ खुद मैं तेरी पहचान, फिर भी तेरी पहचान नहीं पाते हैं | - संत श्री अल्पा माँ Previous यूँ तो हम को कोई गम नहीं पर गम के घेरे में हम रहते हैं Next रहते हैं जब दूर, तो उनकी हर बात खास लगती ।