View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 2264 | Date: 16-Sep-19971997-09-161997-09-16आग से बच-बचकर, आखिर आग की ही लपटों में जल जाना है।Sant Sri Apla Mahttps://www.mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=aga-se-bachabachakara-akhira-aga-ki-hi-lapatom-mem-jala-jana-haiआग से बच-बचकर, आखिर आग की ही लपटों में जल जाना है।
किए बहुत जतन अपनेआप को बचाने के, पर आखिर तो जल जाना है।
हम चाहे के ना चाहे आखिर तो यही होना है।
कभी जले हम इच्छाओं की आग में, कभी भावना में सुलगना है।
चारों और फैली है आग ही आग, और इस बीच हमें बचकर रहना है।
अंदर भी आग है बाहर भी आग, इस आग से हमें अपनेआप को बचाना है।
होगा मुमकिन ये कब तक यही तो राज है, जो ना किसीने जाना है।
कदम को अपने रखे तो कहाँ कि ना आग बुझाना हमें आता है।
तन-बदन को बचाओगे, आखिर कब तक, के उसे एक दिन तो आग में जलना है।
अरे, काम ये हमें नही, किसी और को हमारे लिए करना है।
आग से बच-बचकर, आखिर आग की ही लपटों में जल जाना है।