View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 2685 | Date: 14-Sep-19981998-09-141998-09-14भाग्य का सूरज सुख-दुःख के बादलों से खेल रहा है।Sant Sri Apla Mahttps://www.mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=bhagya-ka-suraja-sukhaduhkha-ke-badalom-se-khela-raha-haiभाग्य का सूरज सुख-दुःख के बादलों से खेल रहा है।
कभी पूर्ण प्रकाशीत होकर दिखता है, तो कभी बादलों के पीछे छूप जाता है।
कभी सुख-दुःख के संग रहेता, तो कभी दोनों से परे रहता है।
खेल चल रहा है वर्षों से यही के, ये खेल अब तक ना बंद हुआ है।
कभी छूपना, कभी सामने आना, सिलसिला ये पुराना है।
कभी बरसात, तो कभी सुखाचक्र ये चलता रहता है।
कभी बादलों का घेराव, तो कभी निर्मल आकाश, ये तो होना है।
चल रहा है ये खेल जन्मों से, ये तो यूँ ही जारी रहना है।
जब तक है अपने अस्तित्व की फिक्र, तब तक ये सहना है।
अदृश्य लाठी का मार हमें खाते ही तो रहना है।
भाग्य का सूरज सुख-दुःख के बादलों से खेल रहा है।