View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 3746 | Date: 21-Dec-19991999-12-211999-12-21जहाँ मेरी सरहद खतम होती है, वहीं पर तेरी सरहद शुरु हो जाती है ।Sant Sri Apla Mahttps://www.mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=jaham-meri-sarahada-khatama-hoti-hai-vahim-para-teri-sarahada-shuru-hoजहाँ मेरी सरहद खतम होती है, वहीं पर तेरी सरहद शुरु हो जाती है ।
तेरा राज तो है हर जगह पर, ये समझ में तब तक नहीं आता है,
जब तक अपने दिल में अहंकार का राज चलता रहता है ।
तू तो हरपल, हर जगह हमारे साथ है, हमारे पास है,
करे तुझपर जब पूर्ण विश्वास, तो ये पता चलता है ।
अगर रहे खुद में खोये, तो तेरी लीला से अंजान रहते हैं,
पर जाने एकबार तेरी लीला फिर तो मजा आ जाता है ।
रहे जहाँ सिर्फ तू ही तू फिर क्या कहना कि क्या कमाल होते हैं,
जो रहें सदा तेरे शरण में, वो तो हरदम खुशहाल होता है,
उनके निखार का क्या कहना, जो तुझसे मालामाल होते हैं ।
जहाँ मेरी सरहद खतम होती है, वहीं पर तेरी सरहद शुरु हो जाती है ।