View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 2171 | Date: 05-Jul-19971997-07-051997-07-05कभी-कभी अपनेआप में खो जाता हूँ कभी कही और खो जाता हूँSant Sri Apla Mahttps://www.mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=kabhikabhi-apaneapa-mem-kho-jata-hum-kabhi-kahi-aura-kho-jata-humकभी-कभी अपनेआप में खो जाता हूँ कभी कही और खो जाता हूँ,
पर ऐ खुदा मैं तुझमें खोकर भी खो नही पाता हूँ।
बस यही है मजबुरी मेरी, यही है कमजोरी, इसपर ही तो रोता हूँ।
पाना चाहता हूँ जो मैं जीवन में, उसे ही पा नही सकता हूँ।
करने को तो सबकुछ कर सकता हूँ, फिर भी कुछ भी नही कर पाता हूँ।
गर्व मनाता हूँ कभी, तो कभी अपने किए पर पछताता रहता हूँ।
बस दो किनारों के बीच मझधार में मैं तो फँसा रहता हूँ।
तेरी प्यार भरी कश्ती का इंतजार करके वक्त अपना काटता हूँ।
पता नही कहाँ और कैसे पर चाहत में अपनी कमी महसूस करता हूँ।
खींच नही पाता मैं तेरी ओर अन्य बातों में खिंचाव अपना बढ़ाता रहता हूँ।
कभी-कभी अपनेआप में खो जाता हूँ कभी कही और खो जाता हूँ