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Hymn No. 3928 | Date: 12-Sep-20002000-09-122000-09-12कैसे बुझाऊँ कि बढ़ती जाती है मेरी प्यासSant Sri Apla Mahttps://www.mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=kaise-bujaum-ki-badhati-jati-hai-meri-pyasaकैसे बुझाऊँ कि बढ़ती जाती है मेरी प्यास,
करुँ मैं लाख जतन, नहीं मिटती है ये मेरी प्यास।
जगी ये दिल में कैसे ये तो पता नहीं,
लगी जिस दिन से, उस दिन से होता गया मैं उदास।
कि जब से बना अपनी इच्छाओं का रे दास,
ना पाया चैन मैंने ना पाया सुकून कि हो गया मैं उदास।
पता नहीं मैं कहाँ हूँ, ऐ खुदा तू सँभालना रे आज,
सूने हो गये हैं मेरे जीवन के रे साज।
जब से जगी है मुझे इन इच्छाओं की रे प्यास,
कृपा तेरी, ऐ खुदा, देर से ही पर हुआ मुझे ये अहसास ।
कैसे बुझाऊँ कि बढ़ती जाती है मेरी प्यास