View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 2544 | Date: 03-Aug-19981998-08-031998-08-03ख्वाबों से छुड़ाना चाहा दामन अपना, के हकीकत का मैं शिकार हो गया।Sant Sri Apla Mahttps://www.mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=khvabom-se-chhudaana-chaha-damana-apana-ke-hakikata-ka-maim-shikara-hoख्वाबों से छुड़ाना चाहा दामन अपना, के हकीकत का मैं शिकार हो गया।
न जाने वह कौन-सा समा था, के मैं बेजार हो गया।
खुशी पाने गया था मैं, के दर्द का शिकार हो गया।
तुझ तक पहुँचने से पहले ही, मैं कही और खो गया।
कहु अच्छा मैं ख्वाब को या हकीकत को, मेरी समझ पर परदा पड़ गया।
तेरे पास होते हुए भी मैं बेचैन और बेबस हो गया।
आजमाइश कड़ी थी, हौसला बुलंद ना मैं रख सका।
करने निकला था तुझको प्यार, पर बीच राह ही सबकुछ भूल गया।
समझकर फूल, काँटो पर पैर मैंने रख दिया।
हुआ दर्द ऐसा, कि चिखना-चिल्लाना ना मेरा बंद हुआ।
की कैसे करुँ अब मैं किसी का शिकार, के शिकार मैं खुद ही हो गया।
ख्वाबों से छुड़ाना चाहा दामन अपना, के हकीकत का मैं शिकार हो गया।