View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 2669 | Date: 09-Sep-19981998-09-091998-09-09कोई रूठे अगर मुझसे और मैं देखूँ तुझे उसमेंSant Sri Apla Mahttps://www.mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=koi-ruthe-agara-mujase-aura-maim-dekhum-tuje-usamemकोई रूठे अगर मुझसे और मैं देखूँ तुझे उसमें,
प्रभु फिर मैं रूठ नही पाता हूँ, मैं उस रूप से रूठ़ नही पाता हूँ।
चाहे करुँ कोशिश मनाने की या नही, ये तो कह नही सकता हूँ,
क्यों की वैसे तो हूँ मैं आजाद पर संजोगों का शिकार मैं हूँ।
मस्ती छा जाती है कुछ मुझमें, के तेरे रूठ़ने की अदा पर फिदा हो जाता हूँ,
पर सच कहता हूँ मैं के मैं तुझसे रूठ़ नही पाता हूँ।
हर एक दिल में बसा हुआ है तू जहाँ, वहाँ तेरी मौजूदगी का अस्वीकार नही करता हूँ,
पर आता है मज़ा कभी-कभी मुझे, जब तू मुझसे रूठता है।
होठो पर खामोशी हो जब दिल में, छुपा प्यार और भी साफ देख पाता हूँ।
तू भी रुठ नही पाता तभी मुझसे, के चुप मैं नही रहे पाता हूँ।
कोई रूठे अगर मुझसे और मैं देखूँ तुझे उसमें