View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 4133 | Date: 31-May-20012001-05-312001-05-31मैं मैं की मय पी रहा हूँ के मैं जी रह हूँSant Sri Apla Mahttps://www.mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=maim-maim-ki-maya-pi-raha-hum-ke-maim-ji-raha-humमैं मैं की मय पी रहा हूँ के मैं जी रह हूँ,
भूलकर मंझीले, कही और डेरा लगाने जा रहा हूँ,
के मस्ती की खोज में इधर उधर जा रहा हूँ,
पर अपने ही नशे में मैं तो गूम फिर रहा हूँ,
सँभळता हूँ पल दो पल के लिये, हकिकत को कहे रहा हूँ,
कुछ कमी का अहसास लिये मैं जी रहा हूँ,
तमन्नाओं और आरझुओं का सहारा ले रहा हूँ,
चाहता हूँ आनंद में रहना, पर वैसा ना कर रहा हूँ,
अपने अहंकार से चाहत आपनी ना मैं तोड पा रहा हूँ,
के मैं मैं की मय पी के बेचैनी को बुलावा देता रहता हूँ।
मैं मैं की मय पी रहा हूँ के मैं जी रह हूँ