View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 2957 | Date: 31-Oct-19981998-10-311998-10-31मिटकर भी मिट नही पाता हूँ, इसलिए हैरान परेशान रहता हूँSant Sri Apla Mahttps://www.mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=mitakara-bhi-mita-nahi-pata-hum-isalie-hairana-pareshana-rahata-humमिटकर भी मिट नही पाता हूँ, इसलिए हैरान परेशान रहता हूँ,
पाया तेरा प्यार प्रभु, के हरपल प्यार तेरा पाना चाहता हूँ,
पर अपनेआप को करना है अर्पण तुझे, पर कर नही पाता हूँ ।
अजीब हालात है, अजीब उलझन, जिसे सह जाता हूँ,
ना चाहूँ कुछ और, ना हो तो कोई बात नही, चाहकर कर नही पाता हूँ ।
भूलते-भूलते सबकुछ, जब भूलता हूँ, तभी अपनेआप को नही भूल पाता हूँ,
कर्ता है तू, जानता हूँ, पर दिल से यह कर नही पाता हूँ ।
मिटाना चाहूँ अपनेआप को जब कभी, वही मैं मिट नही पाता हूँ,
करता नही कोशिश कुछ भी करने की, के दिल की हालत को बयाँ करता हूँ,
कैसे कम हो दुःख मेरा, के कारण जानकर भी कुछ कर नही पाता हूँ ।
मिटकर भी मिट नही पाता हूँ, इसलिए हैरान परेशान रहता हूँ