View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 2259 | Date: 16-Sep-19971997-09-161997-09-16वही जगना, वही सोना, वही खाना, वही पीना, वही उठना, वही बैठनाSant Sri Apla Mahttps://www.mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=vahi-jagana-vahi-sona-vahi-khana-vahi-pina-vahi-uthana-vahi-baithanaवही जगना, वही सोना, वही खाना, वही पीना, वही उठना, वही बैठना,
मिली फुरसद तो लिया नाम प्रभु का, बाकी वही रोना वही धोना।
जी रहे है जिंदगी हम इस तरह से यहाँ और इसे ही कहते है जीना।
वही आशाओं में खेलना, वही निराशाओं में अपनेआप को डूबोना।
पेट की भूख मिटी तो बस इसके आगे कुछ और ना सोचना।
सुविधाएँ और शोहरत के पीछे दिन-रात भागते रहना।
नहीं कुछ नया वही खेल रोज़ ही खेलते रहना।
भुलाकर अपने ध्येय को, गलत राहोंपर अपना दामन पसारना।
ना करने का करना और करने जैसे तो कभी ना करना।
दुःख-दर्द में पुकारना भगवान को, बाकी तो उसको भूल जाना।
कभी इसकी तो कभी उसकी बातों में अपनेआप को खोना।
अपनी बराबरी करना सभी से, सभी को अपने तोल-माप से तोलना।
बस इन्हीं बातों में अपने जीवन का सिलसिला खत्म करना।
इसे कहते है जीवन में हम और यही है हमारा जीने का तराना।
वही जगना, वही सोना, वही खाना, वही पीना, वही उठना, वही बैठना