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गगन मंडल खुली किताब मेरी पीया के प्रीत की,
जिस में अनगिनत नगमे लिखे पड़े है ।
पढ़ पढ़ के पढ़ने वाले लिखते है
निराकार को आकार में संजो देते हैं ।

- संत श्री अल्पा माँ
गगन मंडल खुली किताब मेरी पीया के प्रीत की,
जिस में अनगिनत नगमे लिखे पड़े है ।
पढ़ पढ़ के पढ़ने वाले लिखते है
निराकार को आकार में संजो देते हैं ।



- संत श्री अल्पा माँ

 
गगन मंडल खुली किताब मेरी पीया के प्रीत की,
जिस में अनगिनत नगमे लिखे पड़े है ।
पढ़ पढ़ के पढ़ने वाले लिखते है
निराकार को आकार में संजो देते हैं ।
गगन मंडल खुली किताब मेरी पीया के प्रीत की /quotes/detail.aspx?title=gagana-mandala-khuli-kitaba-meri-piya-ke-prita-ki