है जो लकीर के फकीर, पैगाम उन्हें ये दे दे कोई ।
सोये हैं जो नींद में, उन्हें जगा दे कोई ।
मेहनत से ही जागती है तकदीर सोई ।
न फैलाना सामने हाथ किसी के कभी ।
समझकर कोई और थमा देगा पाँच दस पैसा कोई ।
- संत श्री अल्पा माँ
है जो लकीर के फकीर, पैगाम उन्हें ये दे दे कोई ।
सोये हैं जो नींद में, उन्हें जगा दे कोई ।
मेहनत से ही जागती है तकदीर सोई ।
न फैलाना सामने हाथ किसी के कभी ।
समझकर कोई और थमा देगा पाँच दस पैसा कोई ।
- संत श्री अल्पा माँ