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हैं दिल की क्या मजबूरी जो (वो) दिल ही जानता है |
वफ़ा निभाने औरों की जाता है,
वफ़ादारी अपने संग करना भूल ही जाता है |

- संत श्री अल्पा माँ
हैं दिल की क्या मजबूरी जो (वो) दिल ही जानता है |
वफ़ा निभाने औरों की जाता है,
वफ़ादारी अपने संग करना भूल ही जाता है |



- संत श्री अल्पा माँ

 
हैं दिल की क्या मजबूरी जो (वो) दिल ही जानता है |
वफ़ा निभाने औरों की जाता है,
वफ़ादारी अपने संग करना भूल ही जाता है |
हैं दिल की क्या मजबूरी जो (वो) दिल ही जानता है /quotes/detail.aspx?title=haim-dila-ki-kya-majaburi-jo-dila-hi-janata-hai