Share कभी रोते हैं कभी मुस्कुराते हैं, अपनी गलती पर ही हम गुनगुनाते हैं | जब ना कर सके इन में से कुछ भी, तभी तुझको सुना देते हैं | - संत श्री अल्पा माँ Previous कभी रोकर, कभी मुस्कुराकर ज़िंदगी गुजरती रहती है Next कभी लगी, कभी बुझी और कभी यूँही सुलगती रही