Share कभी लगी, कभी बुझी और कभी यूँही सुलगती रही, पर राहे ज़िंदगी में एक तेरी ही मोहब्बत साथ हमें सदा देती रही । - संत श्री अल्पा माँ Previous कभी रोते हैं कभी मुस्कुराते हैं Next कभी सही सोचा कभी गलत सोचा