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कभी लगी, कभी बुझी और कभी यूँही सुलगती रही,
पर राहे ज़िंदगी में एक तेरी ही मोहब्बत साथ हमें सदा देती रही ।



- संत श्री अल्पा माँ

 
कभी लगी, कभी बुझी और कभी यूँही सुलगती रही,
पर राहे ज़िंदगी में एक तेरी ही मोहब्बत साथ हमें सदा देती रही ।
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