कदम कदम पर दिल बहक हमारा जाता है,
महक उसमें अपनी वो खो देता है |
जहाँ से हम रोकते हैं वहीं पर तो वो जाता है,
वापस जब वो आता है वैसा ही वो होता है |
- संत श्री अल्पा माँ
कदम कदम पर दिल बहक हमारा जाता है,
महक उसमें अपनी वो खो देता है |
जहाँ से हम रोकते हैं वहीं पर तो वो जाता है,
वापस जब वो आता है वैसा ही वो होता है |
- संत श्री अल्पा माँ