Share मंजिल की तलाश में हम फिर रहे थे | मंजिल के तो बहुत पास हम खड़े थे | फिर भी हम उसे ना पहचान रहे थे |- संत श्री अल्पा माँ मंजिल की तलाश में हम फिर रहे थे | मंजिल के तो बहुत पास हम खड़े थे | फिर भी हम उसे ना पहचान रहे थे | - संत श्री अल्पा माँ Previous मुकाबला करने की इच्छा कम हो जाती है Next मैंने ना दिया मौका जमाने को अपने आपको जानने का