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मौत ने ठुकरा दिया, ज़िंदगी मारती रही,
इस ज़िंदगी के सागर में नैया हमारी,
कभी डूबती तो कभी तैरती रही ।

- संत श्री अल्पा माँ
मौत ने ठुकरा दिया, ज़िंदगी मारती रही,
इस ज़िंदगी के सागर में नैया हमारी,
कभी डूबती तो कभी तैरती रही ।



- संत श्री अल्पा माँ

 
मौत ने ठुकरा दिया, ज़िंदगी मारती रही,
इस ज़िंदगी के सागर में नैया हमारी,
कभी डूबती तो कभी तैरती रही ।
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