Share मोहब्बत नहीं कोई महल या जेवरात, जब चाहा खरीद लिया, जब चाहा बेच दिया । - संत श्री अल्पा माँ Previous मोहब्बत तुझे मिटाने में हमने कुछ कमी ना रखी Next मौत ने ठुकरा दिया, ज़िंदगी मारती रही