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मोहब्बत नहीं कोई महल या जेवरात,
जब चाहा खरीद लिया, जब चाहा बेच दिया ।



- संत श्री अल्पा माँ

 
मोहब्बत नहीं कोई महल या जेवरात,
जब चाहा खरीद लिया, जब चाहा बेच दिया ।
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