Share नज़र अंदाज करना है जिसे उसे गैर समझते हैं | अपने किये करतूत पर खुद ही शरमाते हैं |- संत श्री अल्पा माँ नज़र अंदाज करना है जिसे उसे गैर समझते हैं | अपने किये करतूत पर खुद ही शरमाते हैं | - संत श्री अल्पा माँ Previous न है जिसका जवाब, एक ऐसा सवाल है तू । Next नजर के झरोखों से