View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 420 | Date: 15-Oct-19931993-10-151993-10-15अपनी-अपनी अदा मस्तानी है, सबकी यहाँ अपनी कहाँनीSant Sri Apla Mahttps://www.mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=apaniapani-ada-mastani-hai-sabaki-yaham-apani-kahanniअपनी-अपनी अदा मस्तानी है, सबकी यहाँ अपनी कहाँनी,
कोई खेले बचपन से, किसको आया बुढापा, किसके संग है जवानी ।
लगे एक सी मगर अलग अलग है सबकी हस्ती,
करे यहाँ हरकोई अपनी मनमानी, ना चले यहाँ किसी पर जोर-जबरदस्ती ।
मिली है जब सबको तो देखने के लिए अलग दृष्टि,
देखने-सोचने के ढंग है जुदा, एक बात पर कोई रोष, कोई करे मौज-मस्ती ।
क्यों अडाए टाँग तू अपनी, अपनी-अपनी बात है सबकी,
करना हो जिसे जो करे वह, क्या लेना तुझे बातो से उसकी ।
नहीं समझ पाए जब कोई बात तेरी, ना बता बात किसीको दिल की,
दुर्भाव कभी मत लाना अपने दिल में, उसके प्रलय वरना हो जाएगी तेरी बरबादी ।
अपनी-अपनी अदा मस्तानी है, सबकी यहाँ अपनी कहाँनी