View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 4095 | Date: 10-Apr-20012001-04-102001-04-10चहरे की लाली लुट जाती हैSant Sri Apla Mahttps://www.mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=chahare-ki-lali-luta-jati-haiचहरे की लाली लुट जाती है,
दिल की खुशी रूठ जाती है,
नैया हमारी ना जाने कौन से किनारे पर चली जाती है,
दर्द में हमें बिलगने के लिये मजबूर कर जाती है ।
सुख दुःख के भँवर में हमें भटका देती है, नैया .....
चैन सुकून छिन जाये, बेचैनी इतनी बढ़ जाती है ।
प्यार की बोली बंद हो जाती है, नैया हमारी .....
इर्ष्या की आग में हमें ये जलाने को छोड़ देती है ।
शांति हमारी अशांति में बदल जाती है,
यार की याद फरियाद बनकर आती है कि नैया हमारी ......
चहरे की लाली लुट जाती है