View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 2179 | Date: 25-Jul-19971997-07-251997-07-25डूबना है दिल की गहराई में, पर किनारे तक पहुँच पाते नहींSant Sri Apla Mahttps://www.mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=dubana-hai-dila-ki-gaharai-mem-para-kinare-taka-pahuncha-pate-nahimडूबना है दिल की गहराई में, पर किनारे तक पहुँच पाते नहीं,
ना जाने खोए है किस सेहरा में, के अपनेआप को ढूँढ़ पाते नहीं।
पाना है हमें क्या यह हम सोंचके भी तय कर पाते नहीं,
चाहते है तोडना पर अपनी इच्छाओं के जाल को तोड पाते नहीं।
बेखबरों की तरह गुमनाम होकर जीते है, पर ऐसी जिंदगी पसंद नहीं,
पानी है दिल की दिलबरी पर साथ किसीका निभा पाते नहीं।
कभी इधर कभी उधर, अपने ध्येय को हम ध्यान में रखते नहीं,
अपनेआप से ही पराये जैसा बर्ताव, ये कोई नया खेल नहीं।
चाहते है आराम, सुख, शांति पर, उस मंजर तक पहुँचना नहीं।
भटकते रह है अरमानों के वन में, जहाँ चाँदनी भी ठंड़क देती नहीं।
कोई तूफान नही कोई चट्टान नही, फिभी अपने घर लौट पाते नहीं।
डूबना है दिल की गहराई में, पर किनारे तक पहुँच पाते नहीं