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गुजरते-गुजरते वक्त गुजरता गया, जिसका ध्यान हमें ना रहा।
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गुजरते-गुजरते वक्त गुजरता गया, जिसका ध्यान हमें ना रहा।
Hymn No. 2146 | Date: 31-May-1997
1997-05-31
1997-05-31
गुजरते-गुजरते वक्त गुजरता गया, जिसका ध्यान हमें ना रहा।
Sant Sri Apla Ma
https://www.mydivinelove.org/bhajan/?title=gujarategujarate-vakta-gujarata-gaya-jisaka-dhyana-hamem-na-raha
गुजरते-गुजरते वक्त गुजरता गया, जिसका ध्यान हमें ना रहा।
दिन गुजरे, साल गुजरे, वक्त तो अपनी चाल से चलता रहा।
गुजरा वे हमारे पास से सदा फिर भी पता हमें तो ना चला।
थे इतने बेध्यान के वक्त कि आहट का आवाज ना सुनाई पड़ा।
बस इसी बेध्यान के कारण भटकना हमारा ना अटका, यह शुरू रहा।
कभी लगाए बहुत किमती, कभी हमने इसे पीछा छुड़ाना चाहा।
पानी के दाम गँवाया अपना वक्त हमने, पर अफसोस उसका ना हुआ।
पर आए जब दुःख भरे पल जीवन में, तो हम वक्त को कोसते रह।
ना कि कोशिश कभी अपने वक्त को सार्थक करने की ना कभी इसका मूल्य जाना
बस रह गए यूँ ही राहमें भटकते, मंजिल को पाना था पर हमने ना पाया।
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गुजरते-गुजरते वक्त गुजरता गया, जिसका ध्यान हमें ना रहा।
गुजरते-गुजरते वक्त गुजरता गया, जिसका
ध्यान
हमें ना रहा।
दिन गुजरे, साल गुजरे, वक्त तो अपनी चाल से चलता रहा।
गुजरा वे हमारे पास से सदा फिर भी पता हमें तो ना चला।
थे इतने बेध्यान के वक्त कि आहट का आवाज ना सुनाई पड़ा।
बस इसी बेध्यान के कारण भटकना हमारा ना अटका, यह शुरू रहा।
कभी लगाए बहुत किमती, कभी हमने इसे पीछा छुड़ाना चाहा।
पानी के दाम गँवाया अपना वक्त हमने, पर अफसोस उसका ना हुआ।
पर आए जब दुःख भरे पल जीवन में, तो हम वक्त को कोसते रह।
ना कि कोशिश कभी अपने वक्त को सार्थक करने की ना कभी इसका मूल्य जाना
बस रह गए यूँ ही राहमें भटकते, मंजिल को पाना था पर हमने ना पाया।
- संत श्री अल्पा माँ
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लगाए यह तो कैसे लगाए, के मन हमारा प्रभु तुझमें लगता नही
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માન અપમાનની ભીડમાં વારે ઘડીએ હું શામિલ થઇ જાઉં છું
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लगाए यह तो कैसे लगाए, के मन हमारा प्रभु तुझमें लगता नही
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ना चैन है, ना बेचैनी है, ना जाने कुछ अजीब हमारे हाल है।
My Divine Love
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