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Hymn No. 4092 | Date: 09-Apr-20012001-04-092001-04-09क्या क्या करे बयाँ, करने के लिये बोलना पड़ता हैSant Sri Apla Mahttps://www.mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=kya-kya-kare-bayam-karane-ke-liye-bolana-padata-haiक्या क्या करे बयाँ, करने के लिये बोलना पड़ता है,
बोलने के लिये मुँह खोलना पड़ता है ।
यहाँ तो हम सिर्फ साँस ले सकें, इतने ही बाकी है,
आप समझ गये होंगे कि ये कैसी खामोशी है ।
ना जीवन, ना मौत बीच में ही हम तो अटके हैं,
लगता है ऐसा जैसे मुदतों से यही करते हैं ।
करता नहीं वक्त हमारा इंतज़ार, हम वक्त का इंतज़ार करते है,
कभी समझकर तो कभी मजबूरी का लेकर साथ, अपने आपको बहलाया करते हैं ।
असूले खुदाई से है वाकिफ, पर हाल अपने छुपा नहीं पाते हैं,
डूबे हैं कुछ ऐसे कि कुछ कहेने के लिये भी तड़प जाते हैं ।
क्या क्या करे बयाँ, करने के लिये बोलना पड़ता है