View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 3281 | Date: 05-Mar-19991999-03-051999-03-05मजबूरी से मजबूर कभी, कभी गम में ये चूर हैSant Sri Apla Mahttps://www.mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=majaburi-se-majabura-kabhi-kabhi-gama-mem-ye-chura-haiमजबूरी से मजबूर कभी, कभी गम में ये चूर है,
तेरी आँखों से जो पाया हमने, ना आज उन आँखों में नूर है ।
पता नही खुद का, तो कैसे कहे के तू पास के दूर है,
दिल हमारा ना जाने क्यों गम से आज चूर है ।
उम्मीदों में उड़ान नही मस्ती भरी, ऐसा लगे जैसे थक के चूर है,
मन है सुना-सुना, ना सजता इसमें कोई सूर है।
ऐ खुदा ! तू बता के तू है कहाँ, हमारे पास या दूर है,
उलझनों की उलझन में ना जाने खोया कहाँ हमने अपना नूर है।
ना जाने ये कौन-सी रस्म है , ये कौन-सा दस्तूर है,
मिटाने को अपनी बेचैनी हम तुझे ढूँढने के लिए मजबूर है ।
मजबूरी से मजबूर कभी, कभी गम में ये चूर है