View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 1792 | Date: 03-Oct-19961996-10-031996-10-03मस्ती लुटाती उन मदहोश आँखों से जाकर कोई पूछो, कि उनमें इतनी मस्ती आई कहाँ से|Sant Sri Apla Mahttps://www.mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=masti-lutati-una-madahosha-ankhom-se-jakara-koi-puchho-ki-unamem-itaniमस्ती लुटाती उन मदहोश आँखों से जाकर कोई पूछो, कि उनमें इतनी मस्ती आई कहाँ से|
मुस्कुराते उस चेहरे से कोई पूछे, कि उसमें इतनी मीठी मुस्कुराहट़ आई कहाँ से|
जाकर कोई पूछे मेरे खुदासे, कि सारी खुदाई उसने सीखी कहाँ से|
दो प्यार भरे प्यारे हाथों से जाकर कोई पूछे, कि उनमें इतना प्यार आया कहाँ से|
हरदिल को अपनी ओर खींचनेवाले उस दिल को कोई पूछे, कि इतनी दिलकशी पाई कहाँ से|
जाकर कोई मेरे यार से पूछे कि उसने यारी कि, ये रीत सीखी कहाँ से|
हर मन को मंत्रमुग्ध करने वाले मन से कोई पूछे, कि उसने ये जादू सीखा कहाँ से|
हर गम को भुलाकर खुशी से झूमा दे, खुदा ऐसी बोली पाई तुने कहाँ से|
हर अदा पर जिसके मर मिटे सैंकड़ो दीवाने, ऐसी दीवानगी जानी तुने कहाँ से|
कर नही सकते है बयान हम तेरे गुणों को, अब तू ही बता ऐसी बोली हम लाए कहाँ से|
मस्ती लुटाती उन मदहोश आँखों से जाकर कोई पूछो, कि उनमें इतनी मस्ती आई कहाँ से|