View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 3337 | Date: 26-Mar-19991999-03-261999-03-26मेरे मन मंदिर में रहे तू, दिल कुछ और ना चाहता हैSant Sri Apla Mahttps://www.mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=mere-mana-mandira-mem-rahe-tu-dila-kuchha-aura-na-chahata-haiमेरे मन मंदिर में रहे तू, दिल कुछ और ना चाहता है,
बस तुझमें रहे खोये, कुछ और ना चहते है ।
मन अब हमारा छोटे छोटे बंधनो से बंधना न चाहता है,
दिल हमारा तेरे दिलमें समाना चाहता है, मेरे मन.....
कि सारे बंधनों से अब ये रिहाई चाहता है,
अब आजा मन मंदिर में हमारे कि तुझे पूजना चाहते हैं ।
अपनाकर सारे तेरे गुणों को, हम तुझमें समाना चाहते हैं,
ना रहें हम तुझसे जुदा कि तुझमें एकाकार होना चाहते हैं ।
दास्तायें दर्दमें रहे उलझे हम तो बहुत, ना अब उलझना चाहते हैं,
कि मन मंदिर में रहे तू, दिल हमारा यही चाहता हैं ।
मेरे मन मंदिर में रहे तू, दिल कुछ और ना चाहता है