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Hymn No. 616 | Date: 06-Feb-19941994-02-061994-02-06ना छूटे बंधन मेरा देह की नगरिया से, (2)Sant Sri Apla Mahttps://www.mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=na-chhute-bandhana-mera-deha-ki-nagariya-seना छूटे बंधन मेरा देह की नगरिया से, (2)
कैसे प्रभु तुझे मैं अपने मन मंदीर में सजाऊँ, ना छूटे........
भरा नही है जी अबतक देह के श्रृंगार से, निरखूँ कैसे मैं तेरी और,
प्रीत नही है जब अपनी आत्मा से, कैसे तुझ संग प्रेम की डोर में बाँधू, ना छूटे ....
हरपल, हरक्षण मैं मोहमाया में नाचूँ कैसे, तेरी कृपा में नाचूँ,
सुख-दुःख को ही मैं सदा ध्यानूँ, कैसे करु ध्यान प्रभु मैं तेरा।
मान-अपमान की सीमा को ही सदा मैं स्वीकारुँ, कैसे तुझे पहेचानूँ,
मन मेरा मोहे भाए, कैसे उसे मनाऊँ, मैं कैसे उसे समजाऊँ।
है प्रीत तेरे संग दिल में सोई, कैसे उसे जगाऊँ मैं,
बंधनो में ऐसी बँधी हुई हूँ मैं, मुक्त मोहे कर दे तू, कृपा की बरसात बरसा दे तू ।
ना छूटे बंधन मेरा देह की नगरिया से, (2)