न खेलो किसी की मजबूरी से, (2)
मजबूर है वो आज तो, कल होगा के नहीं, वो तुम जानते नहीं, न खेलो ....
दिल के अरमान देखकर, न कहो तुम कुछ उसे, पहचानो नए जज़बातों को, न खेलो ...
प्यार कर सकते हो किसी दिल को सच्चा प्यार कर सकते हो तो करो, न खेलो ....
अपने आप को सुंदर सलोना बनाना छोड़ दो, न खेलो ...
सब कुछ बर्दाश्त कर पायेंगे वो, किसी के दिल को तोड़ना वो ले नहीं पायेंगे, ना खेलो...
इसको दिल तुम्हारा नहीं समझ पाएगा, किसी को मजबूरी में बांधना छोड़ दो, ना खेलो ....
प्यार करते हो तो प्यार करो, प्यार मजबूरी का नाम नहीं, प्यार को मजबूर करना छोड़ दो,
प्यार को बस फैलाना छोड़ दो, करते हो तो सिर्फ प्यार करो,
प्यार में अपने आप को सरताज बनाना छोड़ दो।
- संत श्री अल्पा माँ