View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 1947 | Date: 14-Jan-19971997-01-141997-01-14ना की थी कल्पना जिसकी, आज हकिकत में इतना प्यार पाया है।Sant Sri Apla Mahttps://www.mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=na-ki-thi-kalpana-jisaki-aja-hakikata-mem-itana-pyara-paya-haiना की थी कल्पना जिसकी, आज हकिकत में इतना प्यार पाया है।
कहते है लोग आपको प्रभु प्यार का सागर, इस बात का मतलब कुछ कुछ समझ में आया है|
नही जानते थे प्यार को हम तो, आज हमने प्यार को पहचाना है|
प्रभु अब जाकर हमने अपनेआप, को खुशनसीब माना है|
भीगे तेरी कृपा के बरसात में, प्रभु तेरी कृपा से ना अब अनजान है|
अपना ना सकते थे जिस बात को, उन सब बातों को अपनाया है|
तू नही अनजान इस बात से, कि हमने पास तेरे आकर आनंद ही आनंद पाया है|
खोना और पाना क्या, हमने इसके गम को ही भूलाया है|
आया प्रभु तुझे के नही ये पता हमें नही, पर अपनेआप को अपना अंदाज़ पसंद आया है|
नहीं ड़र हमें अब कुछ खोने का कि खोया सबकुछ हमने वापस पाया है|
ना की थी कल्पना जिसकी, आज हकिकत में इतना प्यार पाया है।