View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 2619 | Date: 01-Sep-19981998-09-011998-09-01प्रभु हम भी अपने स्वार्थ में, न जाने क्या-क्या करते रहते है।Sant Sri Apla Mahttps://www.mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=prabhu-hama-bhi-apane-svartha-mem-na-jane-kyakya-karate-rahate-haiप्रभु हम भी अपने स्वार्थ में, न जाने क्या-क्या करते रहते है।
मुनाफा पाने के लिए, अपने व्यापार में सबकुछ करते है।
अगर कमाये हम सौ, तो बीस तेरे हवाले करने को कहते है।
तेरी समर्थता का हम क्या इस्तमाल करते है।
इन्सानों की तो छोडो, खुदा तुझको भी हम नही छोड़ते है।
अगर रह तेजी तो भाव तेरे थोड़े कम हम कर देते है।
मंदी का आए मौसम, तो भाव तेरा थोड़ा बढ़ा देते है।
हाय ये हमारी सोच-समझ के संग तेरे भी व्यापार का व्यवहार चाहते है।
तेरी याद के कारण नहीं, तेरे प्यार के लिए नहीं, मुनाफे के लिए अगरबत्ती पास तेरे लगाते है।
कभी छूड़ाते है तुझको, तो कभी तुझको भी गिरवी रख देते है।
प्रभु हम भी अपने स्वार्थ में, न जाने क्या-क्या करते रहते है।