View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 1712 | Date: 29-Aug-19961996-08-291996-08-29सारा जहाँ छूपा है मुझमें और मैं छूपा हूँ प्रभु तुझमेंSant Sri Apla Mahttps://www.mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=sara-jaham-chhupa-hai-mujamem-aura-maim-chhupa-hum-prabhu-tujamemसारा जहाँ छूपा है मुझमें और मैं छूपा हूँ प्रभु तुझमें,
कल तक जो ना समझा था, वह बात आज आ गई समझ में,
फिर भी रहा हूँ नाकामियाब तुझे ढूँढ़ने में।
ना जाने छूपा है तू मेरे दिल के कौनसे कोने में,
महसूस कर पाता हूँ तुझे मैं, पर ना आए तू नज़र में,
कभी देखूँ यहाँ से, कभी वहाँ से, पर नही हूँ कामियाब अभी इसमें।
तू है मुझमें मैं हूँ तुझमें, फिर भी आता नही कभी तू ध्यानमें।
मेरी तो दुनिया है तू, पर रहता है किस दुनिया में,
करता हूँ कोशिश बहुत पर पता नही, क्यों नही आता तू नजर के सामने।
सारा जहाँ छूपा है मुझमें और मैं छूपा हूँ प्रभु तुझमें