View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 3405 | Date: 21-May-19991999-05-211999-05-21शामे रंगमें तेरी यादों का नशा जो घुलता जायेSant Sri Apla Mahttps://www.mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=shame-rangamem-teri-yadom-ka-nasha-jo-ghulata-jayeशामे रंगमें तेरी यादों का नशा जो घुलता जाये,
तो खाली जाम भी अपने आप छलकने लग जाये ।
क्या कहें उस नजारे का, जो बयाँ ना किया जाये,
हम वही सबकुछ फिर भी सबकुछ बदल जाये ।
एक नहीं, दो नहीं सैंकड़ों इंद्रधनुष उभरने लग जाये,
क्या कहना उस बेखुदीका, जो खुदको मिटा जाये ।
पीते जाये धीरे धीरे कि झूमने का मजा आ जाये,
यूँ तो ढलती हैं शामें अक्सर, पर कुछ नई बात हो जाये ।
बदले दुनिया हमारी कि तुझ संग जो हमें मिल जाये,
एक सूने साज में जैसे अपने आप संगीत छेड़ जाये ।
शामे रंगमें तेरी यादों का नशा जो घुलता जाये